गुरदासपुर, 16 नवंबर 2019 – बटाला में एक धार्मिक संस्था की तरफ से 350 साल पुराने बूड़ा हो चुके श्री गुरु ग्रंथ साहब के स्वरूप को विदेस से मंगवाए कागज़ और फिर सुरजीत करन की कोशिश की जा रही हैं।लम्बा अरसा होने के कारण पाउडर बनते जा रहे इस स्वरूप के अक्षरों को फिर से पन्नों और लगाया जा रहा है। करीब साढ़े 3सदियों पुराने इस स्वरूप को फिर सुरजीत करन के लिए जहाँ 4सालों का समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है, वहाँ ही इस कवायद और करीब 1करोड़ 30 लाख रुपए खर्चा आने की बात कही जा रही है। संस्था की तरफ से दावा किया जा रहा है कि गुरू गोबिंद जी की तरफ से जो 4स्वरूप लिखवाए गए थे, यह स्वरूप उन में से एक है और इस को भाई मनी सिंह की तरफ से लिखा गया था।
श्री गुरु ग्रंथ साहब के इस स्वरूप को बटाला की गरीब नवाज संस्था की तरफ से फिर से नया रूप दिया जा रहा है। संस्था की तरफ से दावा किया जा रहा है कि दसवाँ पिता सरी गुरु गोबिन्द सिंह की तरफ से 4बीड़ूँ लिखीं गई थीं और इन को बाबा दीप सिंह और भाई मनी सिंह के पास से लिखवायआ गया था। यह उन का नकल यानि अनुवाद किये गए सरूपें में से एक यह भी प्रशंसा स्वरूप है और इस को भाई मनी सिंह की तरफ से लिखों गया था।यह स्वरूप पाकिस्तान में रहते सिंधी हिंदु परिवार के पास था और यह परिवार 1947 की बाँट दौरान दिल्ली आ गया था।कुछ समय तक तो इस स्वरूप की सौ हवा होती रही, परन्तु बाद में यह परिवार विदेस चले जाने कारण यह सरू काफ़ी प्रशंसा होने के कारण खंडित होना शुरू हो गया।गरीब नवाज संस्था के बाबा हरजीत सिंह ने बताया कि संस्था को इस स्वरूप के दिल्ली में होने की जानकारी एक अमरीकी श्रद्धालु की तरफ से दी गई और इस के बाद संस्था की तरफ से इस स्वरूप को बटाला में ले आता गया।
आरके लाजीकल विभाग दिल्ली में सेवा निभा चुके मुहम्मद प्रार्थना यूनस ने बताया कि यह स्वरूप करीब 350 साल पुराना है और जब इस स्वरूप को लाया गया तो उस समय इस के अंग पाउडर बन कर झड़ रहे थे और इस के पन्नों और कीड़े भी थे।उन बताया कि बाद में जर्मन से पेपर मंगवा कर बाकायदा इस की वीडियो और फोटो ग्राफी करवाई गई है।सभी स्वरूप को दोबारा बनाया जा रहा है और इस के अकेले -अकेले अक्षर को बड़े अहत्यारत के साथ विदेशी पेपर और चिपकायआ जा रहा है।उन बताया कि इस स्वरूप को तैयार करन के लिए करीब 4सालों का समय लग सकता है।
बाबा हरजीत सिंह ने बताया कि उन पर गुरू गोबिंद साहब की कृपा हुई। इसी लिए इसी लिए उन को श्री गुरु ग्रंथ साहब की सेवा करन का मौका मिला।जिस तरह हम अपने परिवार में बीमार हुए मैंबर को बचाने के लिए अपना अपना आप तक बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं, उसी तरह वह गुरू ग्रंथ साहब की सेवा के लिए हर हद तक जाने के लिए तैयार हैं। उन कहा कि गुरू ग्रंथ साहब उन के 11 ओए गुरू हैं इस लिए उन की देख खोज करना हमारा फ़र्ज़ है। उन बताया कि इस स्वरूप को विदेस से मंगवाए कागज़ के पन्नों और लगा कर फिर पुरातन रूप दिया जा रहा है। इस पर अब तक 50 लाख का ख़र्च आ चुका है और आगे से भी करीब 80 लाख रुपए का ख़र्च आने की संभावना है, जो संगत के सहयोग न किया जा रहा है।
श्री गुरु ग्रंथ साहब के 350 साला पुराने स्वरूप को किया जा रहा फिर सुरजीत
गुरदासपुर, 16 नवंबर 2019 – बटाला में एक धार्मिक संस्था की तरफ से 350 साल पुराने बूड़ा हो चुके श्री गुरु ग्रंथ साहब के स्वरूप को विदेस से मंगवाए कागज़ और फिर सुरजीत करन की कोशिश की जा रही हैं।लम्बा अरसा होने के कारण पाउडर बनते जा रहे इस स्वरूप के अक्षरों को फिर से पन्नों और लगाया जा रहा है। करीब साढ़े 3सदियों पुराने इस स्वरूप को फिर सुरजीत करन के लिए जहाँ 4सालों का समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है, वहाँ ही इस कवायद और करीब 1करोड़ 30 लाख रुपए खर्चा आने की बात कही जा रही है। संस्था की तरफ से दावा किया जा रहा है कि गुरू गोबिंद जी की तरफ से जो 4स्वरूप लिखवाए गए थे, यह स्वरूप उन में से एक है और इस को भाई मनी सिंह की तरफ से लिखा गया था।
श्री गुरु ग्रंथ साहब के इस स्वरूप को बटाला की गरीब नवाज संस्था की तरफ से फिर से नया रूप दिया जा रहा है। संस्था की तरफ से दावा किया जा रहा है कि दसवाँ पिता सरी गुरु गोबिन्द सिंह की तरफ से 4बीड़ूँ लिखीं गई थीं और इन को बाबा दीप सिंह और भाई मनी सिंह के पास से लिखवायआ गया था। यह उन का नकल यानि अनुवाद किये गए सरूपें में से एक यह भी प्रशंसा स्वरूप है और इस को भाई मनी सिंह की तरफ से लिखों गया था।यह स्वरूप पाकिस्तान में रहते सिंधी हिंदु परिवार के पास था और यह परिवार 1947 की बाँट दौरान दिल्ली आ गया था।कुछ समय तक तो इस स्वरूप की सौ हवा होती रही, परन्तु बाद में यह परिवार विदेस चले जाने कारण यह सरू काफ़ी प्रशंसा होने के कारण खंडित होना शुरू हो गया।गरीब नवाज संस्था के बाबा हरजीत सिंह ने बताया कि संस्था को इस स्वरूप के दिल्ली में होने की जानकारी एक अमरीकी श्रद्धालु की तरफ से दी गई और इस के बाद संस्था की तरफ से इस स्वरूप को बटाला में ले आता गया।
आरके लाजीकल विभाग दिल्ली में सेवा निभा चुके मुहम्मद प्रार्थना यूनस ने बताया कि यह स्वरूप करीब 350 साल पुराना है और जब इस स्वरूप को लाया गया तो उस समय इस के अंग पाउडर बन कर झड़ रहे थे और इस के पन्नों और कीड़े भी थे।उन बताया कि बाद में जर्मन से पेपर मंगवा कर बाकायदा इस की वीडियो और फोटो ग्राफी करवाई गई है।सभी स्वरूप को दोबारा बनाया जा रहा है और इस के अकेले -अकेले अक्षर को बड़े अहत्यारत के साथ विदेशी पेपर और चिपकायआ जा रहा है।उन बताया कि इस स्वरूप को तैयार करन के लिए करीब 4सालों का समय लग सकता है।
बाबा हरजीत सिंह ने बताया कि उन पर गुरू गोबिंद साहब की कृपा हुई। इसी लिए इसी लिए उन को श्री गुरु ग्रंथ साहब की सेवा करन का मौका मिला।जिस तरह हम अपने परिवार में बीमार हुए मैंबर को बचाने के लिए अपना अपना आप तक बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं, उसी तरह वह गुरू ग्रंथ साहब की सेवा के लिए हर हद तक जाने के लिए तैयार हैं। उन कहा कि गुरू ग्रंथ साहब उन के 11 ओए गुरू हैं इस लिए उन की देख खोज करना हमारा फ़र्ज़ है। उन बताया कि इस स्वरूप को विदेस से मंगवाए कागज़ के पन्नों और लगा कर फिर पुरातन रूप दिया जा रहा है। इस पर अब तक 50 लाख का ख़र्च आ चुका है और आगे से भी करीब 80 लाख रुपए का ख़र्च आने की संभावना है, जो संगत के सहयोग न किया जा रहा है।
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