सैक्स शोषण पीड़िता को इन्साफ दिलवाने के लिए पंजाब में जगह -जगह रोश धरने

बाबा फ़रीद मैडीकल यूनीवरस्टी फरीदकोट के एक उच्च अधिकारी डा: संजे गुप्ता द्वारा सैक्स शोषण से पीडित महिला डाक्टर के बहुचर्चित मामलो में पीड़ता के लिए इन्साफ और ज़ैल रोके किसान नेता राजिन्दर सिंह की रिहाई और सम्बधित माँगों को ले कर आज कड़ाको की ठंड में भारतीय किसान यूनियन (एकता उगाहूँ) की तरफ से पंजाब के 12 जिलों में डी.सी. /ऐस.डी.ऐम. दफ़्तरों आगे रोश धरने लगाऐ गए। जत्थेबंदी के जनरल सचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलाँ की तरफ से यहाँ जारी किये गए प्रैस रिलीज में बताया गया कि संगरूर, बरनाला, मानसा, बठिंडा, मोगा, मुक्तसर, अमृतसर और गुरदासपुर में डी.सी. दफ़्तरों और फतहगढ़ चूड़ियाँ (गुरदासपुर), पायल (लुधियाना), ज़ीरा (फ़िरोज़पुर), जलालाबाद (फाजिल्का), में ऐस.डी.ऐम. दफ़्तरों आगे औरतें समेत भारी संख्या में इकठ्ठा हो कर किसानों मज़दूरों ने माँगों के हक में ज़िला प्रशासन फरीदकोट और पंजाब सरकार विरुद्ध गुस्सा -भरपूर नारो लगाऐ। मौको के उच्च -आधिकारियों को पंजाब के मुख मंत्री को भेजने के लिए सौंपे गए माँग पत्रों के द्वारा माँग की गई कि महिला डाक्टर की तरफ से नामज़द सैक्स शोषण के दोषी डा: संजे गुप्ता विरुद्ध आपराधिक केस तुरंत दर्ज किया जाये। इस ख़ातिर संघर्षशील जनतक जत्थेबंदियों के जलसा पर 7दिसंबर को किये गए लाठीचार्ज /आँसू गैस हमले मौके मढ़ें नाजायज केस रद्द किया जाये और नज़रबंद किसान नेता राजिन्दर सिंह दीप सिंह वाला को तुरंत रिहा किया जाये। 8दिसंबर को गिरफ़्तारी विरुद्ध रोश प्रकटा रही 6औरतें समेत पीडित महिला डाक्टर को थाने अंदर लिजा कर मारपीट करन के दोषी पुलिस अधिकारी विरुद्ध सख़्त कानूनी कार्यवाही की जाये। पुलिस की तरफ से धरनाकारियों का ज़ब्त किया सारा सामान वापस किया जाये और भन्नतोड़ का मुआवज़ा दिया जाये। अलग -अलग थांईं धरनों को संबोधन करन वाले मुख्य वक्तों में जनरल सचिव के इलावा सूबा प्रधान जोगिन्द्र सिंह उगाहूँ, सीनियर मित्र प्रधान झंडा सिंह जेठूके, शिंगारा सिंह मान, हरदीप सिंह टल्लेवाल, रूप सिंह प्याला और जसविन्दर सिंह लोंगोवाल समेत जिलों के प्रधान /सचिव शामिल थे। वक्तों ने 20 अगस्त से ले कर इस मसले को महीनों बद्धी जाणबुझ्झ कर लटकाने और सच्चा संघर्ष को नहक्के जबर के द्वारा दबाने के ज़िम्मेदार ज़िला प्रशासन फरीदकोट और पंजाब सरकार की सख़्त निषिद्धता करते हुए उक्त सच्चा माँगों तुरंत मानने पर ज़ोर दिया। उन दोष लगाया कि सरकारी तंत्र के इस ग़ैर ज़िम्मेदार व्यवहार पीछे राजनैतिक मकसद है कि किसानों मज़दूरों के जानलेवा करज़्यें और आत्महत्याएँ समेत पराळी, आवारा पशु आदि अनेकों जलते मसलों पर चल रहे संघर्षों से ध्यान एक तरफ़ हटाई रखा जाये। वक्तों ने पूरे देश में सत्ताधारियों द्वारा औरतें विरुद्ध घृणित जुर्मों के दोषी उच्च प्रभाव -रशूखवानों की सरप्रस्ती कारण दिन दिन बढ़ रहे ऐसे अणमनुक्खी कामों पर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हैदराबाद पुलिस कमिशनर की तरफ से ऐसे एक दो मामलों में शामिल आम लोगों को फ़र्ज़ी पुलिस मुकाबलों के द्वारा मार मुकाउण द्वारा अनेकों सांसदें, महंतों, वेशधारी साधूओं समेत कई अन्य के कई बड़े गुनाहों पर पर्दा पहनने और झूठे पुलिस मुकाबलों के लिए जनतक -मान्यता हासिल करन की साजिश करार दिया। वक्तों ने इन सत्ताधारी साजिशें को चकनाचूर करके ऐसे घृणित औरत विरोधी जुर्मों को पकी रोक पहनने के लिए समूह कामगार /किसानों /मज़दूरों को संघर्षों के अहाता कब्ज़ा करने का ढिंढोरा दिया।

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