कहा कि गरीबों के लिए भेजा गेंहू दबा हुआ मिलने से राज्य में वित्तमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति का साफ पता चलता है
बठिंडा/28अक्टूबर: पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पूछा है कि वह किसानों को ठगने के लिए केंद्र के साथ दोस्ताना मैच क्यों खेल रहे हैं और उनसे अकाली अध्यक्ष द्वारा पूछे गए चार सवालों का जवाब देने को कहा है। क्या आपने केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द कर दिया? पंजाब विधानसभा द्वारा पारित नए विधेयक कब अस्तित्व में आएंगे? क्या विधेयकों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों का सवैंधानिक अधिकार बना दिया है और क्या उन्होने न्यूनतम समर्थन मल्य व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले 24 फसलों की गारंटी दी है?
एम्स के रेडियो डायग्नोसिस विंग के उद्घाटन समारोह के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए बठिंडा में श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र सरकार से करों में राज्यों की हिस्सेदारी की कटौती करने के अपने कदम को छोड़ने को कहा है। राज्यों पर बढ़ते बोझ को देखते हुए केंद्र को राज्यों की हिस्सेदारी को कम करने की बजाय 42 फीसदी से बढ़ाकर 52 फीसदी करना चाहिए।
पंजाब में मालगाड़ियों की सेवाएं शुरू न करने पर केंद्र से सवाल करते हुए श्रीमती बादल ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों ने मालगाड़ियों के चलने के लिए रेल पटरियों को पहले ही खाली कर दिया है लेकिन केंद्र इस सेवा को फिर से शुरू नही कर रहा है, जो संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की आर्थिक नाकेबंदी का कारण बन सकती है और उसकी पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होने कहा कि यह हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले कोयले की कमी के बहाने किसानों से पटरियां खाली कराई लेकिन फिर सेवाएं शुरू करने के लिए केंद्र से चालू नही करवाया। इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री किसानों को बदनाम करने में केंद्र के साथ दोस्ताना मैच खेल रहा है।
जॉगर्स पार्क बठिंडा में फेंके गए सड़े गेंहू के आटे की बरामदी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहले केंद्र से आए लोगों को कोविड लॉकडाउन के समय के दौरान राज्य के गरीबों और जरूरतमंदों के बीच बांटने के लिए राशन की लूट तथा अपने कुछ पंसदीदा को वह राशन दिया गया। उन्होने कहा कि जनता की शिकायतों के बाद विभिन्न स्थानों पर कांग्रेस विधायकों और उनके सहयोगियों से राशन की बोरियां बरामद की गई। उन्होने कहा कि बठिंडा में गरीबों के अनाज का दबा हुआ मिलना बेहद हैरान कर देने वाली घटना है और इससे वित्तमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति के बारे में पता लगता है कि कितना अनाज न बांटकर खराब कर दबाया गया है।
केरल सरकार द्वारा हाल ही में फलों और सब्जियों के लिए एमएसपी तय करने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उन्होने इस कदम का स्वागत किया और पंजाब सरकार को सलाह दी कि वह अन्य राज्यों से सीखकर किसानों की भलाई के लिए कदम उठाए।
जम्मू-कश्मीर ने बाहरी लोगों को वहा गैर खेती भूमि खरीदने के अधिकार देने के बारे श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘हम गुजरात और राजस्थान में दशकों से बसे सिखों और पंजाबियों के लिए इन संपत्ति अधिकारों की मांग करते हैं। लेकिन अभी ऐसा नही है परंतु सभी में समानता होनी चाहिए।
सरदार बादल ने एम्स में आयोजित समारोह में बतौर अतिथि शिरकत की। सभा को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उन दिनों को याद किया जब सरदार परकाश सिंह बादल की लीडरशीप वाली सरकार ने इस उद्देश्य के लिए भूमि उपलब्ध कराई थी और कैसे उन्होने क्षेत्र में प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना के लिए राज्य से सभी मंजूरी प्राप्त करने के लिए प्रयास किए थे।
मुख्यमंत्री केंद्र के साथ दोस्ताना मैच क्यों खेल रहा है: श्रीमती हरसिमरत कौर बादल
कहा कि गरीबों के लिए भेजा गेंहू दबा हुआ मिलने से राज्य में वित्तमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति का साफ पता चलता है
बठिंडा/28अक्टूबर: पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पूछा है कि वह किसानों को ठगने के लिए केंद्र के साथ दोस्ताना मैच क्यों खेल रहे हैं और उनसे अकाली अध्यक्ष द्वारा पूछे गए चार सवालों का जवाब देने को कहा है। क्या आपने केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द कर दिया? पंजाब विधानसभा द्वारा पारित नए विधेयक कब अस्तित्व में आएंगे? क्या विधेयकों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों का सवैंधानिक अधिकार बना दिया है और क्या उन्होने न्यूनतम समर्थन मल्य व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले 24 फसलों की गारंटी दी है?
एम्स के रेडियो डायग्नोसिस विंग के उद्घाटन समारोह के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए बठिंडा में श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र सरकार से करों में राज्यों की हिस्सेदारी की कटौती करने के अपने कदम को छोड़ने को कहा है। राज्यों पर बढ़ते बोझ को देखते हुए केंद्र को राज्यों की हिस्सेदारी को कम करने की बजाय 42 फीसदी से बढ़ाकर 52 फीसदी करना चाहिए।
पंजाब में मालगाड़ियों की सेवाएं शुरू न करने पर केंद्र से सवाल करते हुए श्रीमती बादल ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों ने मालगाड़ियों के चलने के लिए रेल पटरियों को पहले ही खाली कर दिया है लेकिन केंद्र इस सेवा को फिर से शुरू नही कर रहा है, जो संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की आर्थिक नाकेबंदी का कारण बन सकती है और उसकी पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होने कहा कि यह हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले कोयले की कमी के बहाने किसानों से पटरियां खाली कराई लेकिन फिर सेवाएं शुरू करने के लिए केंद्र से चालू नही करवाया। इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री किसानों को बदनाम करने में केंद्र के साथ दोस्ताना मैच खेल रहा है।
जॉगर्स पार्क बठिंडा में फेंके गए सड़े गेंहू के आटे की बरामदी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहले केंद्र से आए लोगों को कोविड लॉकडाउन के समय के दौरान राज्य के गरीबों और जरूरतमंदों के बीच बांटने के लिए राशन की लूट तथा अपने कुछ पंसदीदा को वह राशन दिया गया। उन्होने कहा कि जनता की शिकायतों के बाद विभिन्न स्थानों पर कांग्रेस विधायकों और उनके सहयोगियों से राशन की बोरियां बरामद की गई। उन्होने कहा कि बठिंडा में गरीबों के अनाज का दबा हुआ मिलना बेहद हैरान कर देने वाली घटना है और इससे वित्तमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति के बारे में पता लगता है कि कितना अनाज न बांटकर खराब कर दबाया गया है।
केरल सरकार द्वारा हाल ही में फलों और सब्जियों के लिए एमएसपी तय करने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उन्होने इस कदम का स्वागत किया और पंजाब सरकार को सलाह दी कि वह अन्य राज्यों से सीखकर किसानों की भलाई के लिए कदम उठाए।
जम्मू-कश्मीर ने बाहरी लोगों को वहा गैर खेती भूमि खरीदने के अधिकार देने के बारे श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘हम गुजरात और राजस्थान में दशकों से बसे सिखों और पंजाबियों के लिए इन संपत्ति अधिकारों की मांग करते हैं। लेकिन अभी ऐसा नही है परंतु सभी में समानता होनी चाहिए।
सरदार बादल ने एम्स में आयोजित समारोह में बतौर अतिथि शिरकत की। सभा को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उन दिनों को याद किया जब सरदार परकाश सिंह बादल की लीडरशीप वाली सरकार ने इस उद्देश्य के लिए भूमि उपलब्ध कराई थी और कैसे उन्होने क्षेत्र में प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना के लिए राज्य से सभी मंजूरी प्राप्त करने के लिए प्रयास किए थे।
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